Friday 8 May 2015

राजनीति और मीडिया में धन और बल का प्रभाव

राजनीति और मीडिया में धन और बल का प्रभाव कितना अधिक हो गया है, इसका एक पीड़ादायक उदाहरण है अभिनेता सलमान खान को सजा मिलने के बाद चारों ओर प्रतिक्रियाओं के बादलों का छा जाना. उन्हें थोड़ी ही देर में जमानत मिल जाना और फिल्मी कबीले के लोगों द्वारा रो-रोकर सलमान खान से सहानुभूति के बयान देना इस बात की गवाही है कि गुनाह और सजा आपके पैसे, प्रभाव और परिस्थिति पर नियंत्रण करने की क्षमता से आंके जाते हैं.इस पूरे प्रकरण में सबसे दुखद पहलू मीडिया का है. अकसर मीडिया में गरीब, दुखी, दलित के बारे में दर्द की नदियां बहाते लेखक, पत्रकार दिखते हैं, लेकिन सलमान खान को सजा मिलने के मामले में इसी मीडिया ने संवेदनहीनता एवं सस्तापन दिखाते हुए इसे मानो राष्ट्रीय शोक का विषय बना दिया. एक अमीर व्यक्ति को उसके अपराध के कारण सजा दी गयी.
सलमान की गाड़ी से एक गरीब मारा गया और चार अन्य घायल हुए. सलमान खान की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बयान दिया कि हादसे के दौरान स्वयं सलमान खान ही गाड़ी चला रहे थे. उसकी मृत्यु हो गयी. इसकी जांच भी नहीं हुई. सब बयान और सबूत अदालत के सामने पेश हुए. 2002 से मामला चलता रहा. और इस बीच बहुत कुछ बदल गया.बयान बदल गये. यह भी बदल गया कि गाड़ी सलमान खान नहीं, बल्कि कोई और ड्राइवर चला रहा था. सलमान के वफादार अंगरक्षक की भी शोकांतिका हुई. लेकिन, यह सब सिर्फ इस कारण से धूमिल और नजरअंदाज किये जाने योग्य मान लिया गया, क्योंकि सलमान खान लोकप्रिय फिल्म अभिनेता हैं, वे बहुत से बड़े प्रभावी, नामी-गिरामी लोगों के दोस्त हैं, उनकी एक फिल्मी सितारे की छवि है, इसलिए उनके प्रति सहानुभूति होनी ही चाहिए. वे गरीब लोग, जो मरे, घायल हुए, सिर्फ इस लायक हैं कि उनको कुछ पैसे दे दिये जायें, ताकि वे अपनी जुबान बंद रखें या परेशान न करें. मीडिया भी और राजनेता एवं फिल्मी कलाकार भी या तो इस मामले में चुप्पी ओढ़े रहते हैं, जिसका अर्थ भी सलमान का समर्थन करना ही होता है अथवा खुलेआम सलमान खान से सहानुभूति व्यक्त करते हैं. आमतौर पर यही चलन है.