Wednesday 1 April 2015

आओ चलें सुन्दर भारत बनाएं

भारत एक कृषि प्रधान, धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विविधताओं से भरा देश है। इस देश में अलग-अलग भाषा, धर्म, सम्प्रदाय और संस्कृतियों के मानने वाले लोग रहते हैं। इन दिनों देखने को मिल रहा है कि देश में भाषाई हिंसा, साम्प्रदायिक हिंसा, इलाकाई हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। आबादी बढ़ने के साथ रोजगार के अवसर घटे हैं। लोग संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। नौजवान शैक्षणिक डिग्रियां लेकर यदा-कदा भ्रमण कर रहे हैं, उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। व्यवसायी भी परेशान हैं। नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। पर्यावरणीय प्रदूषण बढ़ रहा है। यह तो मौलिक समस्याएं हैं, जिन पर आसानी से नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। देश की दूसरी सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार के मूल में नौकरशाही है या फिर राजनीतिज्ञ कुछ स्पष्ट नहीं। दोनों अपने-अपने तरीके से एक दूसरे को दोषी बताते रहते हैं। अगर वाकई में हम इस मन:स्थिति में है कि देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो पहल खुद के स्तर पर करनी होगी। उदाहरण के तौर पर खुद से सवाल करें-
1-क्या हम अपना परिवेश स्वच्छ रखते हैं।
2-क्या हम अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।
3-क्या हम अहिंसा के रास्ते पर चलकर एक दूसरे का सम्मान देते हैं।
4-क्या हम राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
5-क्या हमने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित किया है।
अगर इन सवालों का जवाब हां में है और इनका हम पूरा अनुपालन कर रहे हैं तो निश्चित रुप से हम सब देश को बदलने का अभियान चलाने के लायक हैं। आज पहले चरण में बस इतना ही। अगले चरण में कल फिर हम अपने विचार आप से शेयर करेंगे।
                                              धन्यवाद
                                                          रमेश पाण्डेय
                                                           प्रतापगढ़
                                                             उत्तर प्रदेश

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