Sunday 4 September 2016

गायिका रजनी ‘रजक’ विभूषण सम्मान से सम्मानित

भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग में कार्यरत श्रीमती रजनी रजक को अखिल भारतीय रजक समाज द्वारा दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में ‘रजक’ विभूषण सम्मान - 2016 से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती रजनी ने अपनी मंचीय प्रस्तुति वर्ष 1980 से प्रारंभ की। 1980 से 1984 तक मंचीय प्रस्तुति के साथ आकाशवाणी रायपुर की नियमित गायिका के रूप में लोक गीतों की प्रस्तुति देने लगी। इनकी कला प्रतिभा को देखते हुए वर्ष 1985 में भिलाई इस्पात संयंत्र ने एक कलाकार के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया। भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा लोककला सम्मान, लोकगाथा गायिका सम्मान, बिलासा महोत्सव बिलासपुर में बिलासा सम्मान, कला साहित्य की पत्रिका वसुंधरा द्वारा कला सृजन सम्मान, भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आयोजित 32 वें छत्तीसगढ़ लोककला महोत्सव में दाऊ महासिंग चन्द्राकर सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
श्रीमती रजनी रजक लोकगीत एवं लोकगाथा के गायन विधा में पारंगत है। उन्हें लोकगीत, लोक नृत्य, लोक गाथा कथा गायन, लेखन प्रलेखन एवं रंग मंचीय संचालन का लगभग 30 वर्षों से वृहद् अनुभव है। इसके अलावा वे बेहतर तरीके से मंच संचालन का भी अपना दायित्व बखूबी निभा रही हैं।

Thursday 28 April 2016

मजदूर के बेटे ने छत्तीसगढ़ बोर्ड में 10वीं टॉप किया

प्रतिभा अमीरी और गरीबी नहीं देखती। छत्तीसगढ़ बोर्ड के 10वीं का टॉपर हेमंत कुमार साहू एक साधारण किसान परिवार से है। उसके पिता निराकार साहू डीबी पॉवर में ठेका मजदूर हैं। हेमंत ने 99% मार्क्स हासिल किए हैं यानी 100% में महज 6 मार्क्स कम। उसे सोशल साइंस और मैथ्स में 100 में 100 मार्क्स मिले हैं।  हेमंत अपने परिवार के साथ जांजजीर-चांपा जिले के डभरा ब्लॉक स्थित टुंड्री गांव में रहता है। वह घर से करीब पांच किलोमीटर दूर साइकिल चलाकर महेंद्र सिंह पटेल मेमोरियल आदर्श हायर सेकेंड्री स्कूल, चंदेली (जिला- रायगढ़ ) आता था। उसने बताया कि उसके पड़ोस के गांव में भी एक हाई स्कूल है, लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए उसने पड़ोसी जिले के स्कूल में एडमिशन लिया था। हेमंत की बड़ी बहन राजलक्ष्मी साहू भी इसी स्कूल से पढ़ी थी और 2013 में 10वीं में टॉप टेन में आई थी। हेमंत उसी से प्रेरित था।

मजदूरन मां की बेटी ने 10वीं बोर्ड मेरिट में लाया दूसरा स्थान
प्रतिभा अमीरी और गरीबी नहीं देखती। छत्तीसगढ़ 10वीं बोर्ड की परीक्षा का परिणाम गुरुवार सुबह आया तो जांजगीर की सुरुचि साहू ने टॉप टेन में दूसरा स्थान प्राप्त किया। वे अपने नाना के घर में रहकर पढ़ती हैं और आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहती हैं। सुरुचि की मां मजदूरी करती हैं।

हम्माल की बेटी और किसान के बेटे ने रचा इतिहास
10 की बोर्ड परीक्षा में बालोद जिले से मेरिट सूची में दो बच्चों ने स्थान बनाया है। सूची में 97 प्रतिशत अंक के साथ पांचवें स्थान पर रही चन्द्रकला ग्राम देवारभाट की निवासी एवं गांव के ही शासकीय स्कूल की छात्रा है। उसके पिता देवलाल बालोद एफसीआई में हम्माल का काम करते हैं। चन्द्रकला बड़ी होकर सेना में जाना चाहती है। वह शुरू से प्रतिभाशाली रही है। इसके अलावा मेरिट सूची में 96.33 प्रतिशत अंक लेकर 9 वें स्थान पर रहने वाले सौरव देशमुख बालोद के समीपस्थ ग्राम पापरा का निवासी है और बालोद के कान्हा स्कूल का छात्र है। शुरू से मेधावी रहे सौरव के पिता युगल देशमुख किसान हैं। सौरव बड़ा होकर वैज्ञानिक बनना चाहता है। दोनों ही बच्चे अपने-अपने गांव से टापटेन सूची में स्थान बनाने वाले पहले बच्चे हैं।


Thursday 21 April 2016

...आओ बचाएं अपनी वसुंधरा?

हाल के कुछ साल, महीने और दिवस में नेपाल में आयी भूकंप त्रासदी, पाकिस्तान में बाढ़, जम्मू कश्मीर में जल प्रलय, जापान से लेकर अफगानिस्तान तक धरती के कंपने, इक्वाडोर में भूकंप जैसी भयावह खबरे अखबार की सुर्खियां रहीं। वर्तमान में लातूर का जल संकट, बुंदेलखंड और विदर्भ में सूखे के हाल से सभी परिचित हैं। अक्सर यह समाचार सुनने को मिलते हैं कि उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ कई किलोमीटर तक पिघल गई है। सूर्य की पराबैगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत में छेद हो गया है। इसके अलावा फिर भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदों की खबरें आप तक पहुँचती हैं, हमारे पृथ्वी ग्रह पर जो कुछ भी हो रहा है? इन सभी के लिए मानव ही जिम्मेदार हैं, जो आज ग्लोबल वार्मिग के रूप में हमारे सामने हैं। धरती रो रही है। निश्चय ही इसके लिए कोई दूसरा नहीं बल्कि हम ही दोषी हैं। भविष्य की चिंता से बेफिक्र हरे वृक्ष अधाधुंध काटे गए और यह क्रम वर्तमान में भी जारी है। इसका भयावह परिणाम भी दिखने लगा है। सूर्य की पराबैगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत का इसी तरह से क्षरण होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। जीव-जन्तु अंधे हो जाएंगे। लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी और त्वचा कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाएगी। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाके चपेट में आ जाएंगे। इसके लिए समय रहते सोचना होगा। हम अपनी वसुंधरा को कैसे बचाएं। सोचना होगा, मुकम्मल रणनीति तैयार करनी होगी। सरकार को भी एक कानून बनाना होगा। इस बार पृथ्वी दिवस पर आइए हम सभी मिलजुलकर जल, जंगल और जमीन को कैसे बचाएं, जीवन को कैसे सुरक्षित रखें। इस पर न केवल विचार करें बल्कि संकल्प लें कि हम पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे।

धरती खो रही है अपना प्राकृतिक रूप 
आज हमारी धरती अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। जहाँ देखों वहाँ कूड़े के ढेर व बेतरतीब फैले कचरे ने इसके सौंदर्य को नष्ट कर दिया है। विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेजी से वृध्दि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी विकराल होती जा रही है। ठोस अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निपटान के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है। ठोस अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा में लगातार वृद्धि के कारण उत्पन्न उनके निपटान की समस्या न केवल औद्योगिक स्तर पर अत्यंत विकसित देशों के लिए ही नहीं वरन कई विकासशील देशों के लिए भी सिरदर्द बन गई है।  भारत में प्लास्टिक का उत्पादन व उपयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। औसतन प्रत्येक भारतीय के पास प्रतिवर्ष आधा किलो प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। इसका अधिकांश भाग कूड़े के ढेर पर और इधर-उधर बिखर कर पर्यावरण प्रदूषण फैलाता है।

पर्यावरण में जहर घोल रहा पॉलीथीन 
आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचाई। लोगों की सुविधा के लिए इजाद की गई पॉलीथीन आज मानव जाति के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरक क्षमता को खत्म कर रही है। यह भूजल स्तर को घटा रही है और उसे जहरीला बना रही है। पॉलीथीन को जलाने से निकलने वाला धुआं ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। पॉलीथीन कचरे से देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी मौत का ग्रास बन रहे हैं। लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं, जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। प्लास्टिक के ज्यादा संपर्क में रहने से लोगों के खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है। इससे गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रुक जाता है और प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक उत्पादों में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल रसायन शरीर में डायबिटीज व लिवर एंजाइम को असामान्य कर देता है। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाईआॅक्साइड, कार्बन मोनोआॅक्साइड एवं डाईआॅक्सीन्स जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। इन थैलों का अधिक इस्तेमाल करके हम न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है, बल्कि गंभीर रोगों को भी न्यौता दे रहे है। इन्हे यूं ही फेंक देने से नालियां जाम हो जाती है। इससे गंदा पानी सड़कों पर फैलकर मच्छरों का घर बनता है। इस प्रकार यह कालरा, टाइफाइड, डायरिया व हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बनते है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइकिलिंग हो पाती है। अनुमान है कि भोजन के धोखे में इन्हे खा लेने के कारण प्रतिवर्ष एक लाख समुद्री जीवों की मौत हो जाती है। इनको निगलने से मवेशियों की मौत की खबरें तो तुमने भी पढ़ी-सुनी होंगी। जमीन में गाड़ देने पर पॉलीथिन थैले अपने अवयवों में टूटने में 1,000 साल से अधिक ले लेती है। यह पूर्ण रूप से तो कभी नष्ट होते ही नहीं हैं। यहाँ तक कि जिन पॉलीथिन के थैलों पर बायोडिग्रेडेबल लिखा होता है, वे भी पूर्णतया इकोफ्रेंडली नहीं होते है।

ग्लोबल वार्मिग की समस्या
पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि ही ग्लोबल वार्मिग कहलाता है। वैसे, पृथ्वी के तापमान में बढोत्तरी की शुरूआत 20वीं शताब्दी के आरंभ से ही हो गई थी। माना जाता है कि पिछले सौ सालों में पृथ्वी के तापमान में 0.18 डिग्री की वृद्धि हो चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि धरती का टेम्परेचर इसी तरह बढता रहा, तो 21वीं सदी के अंत तक 1.1-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बढ जाएगा। हमारी पृथ्वी पर कई ऐसे केमिकल कम्पाउंड पाए जाते हैं, जो तापमान को बैलेंस करते हैं। ये ग्रीन हाउस गैसेज कहलाते हैं। ये प्राकृतिक और मैनमेड (कल-कारखानों से निकले) दोनों होते है। ये हैं- वाटर वेपर, मिथेन, कार्बन डाईआॅक्साइड, नाइट्रस आॅक्साइड आदि। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, तो इनमें से कुछ किरणें (इंफ्रारेड रेज) वापस लौट जाती हैं। ग्रीन हाउस गैसें इंफ्रारेड रेज को सोख लेती हैं और वातावरण में हीट बढ़ाती हैं। यदि ग्रीन हाउस गैस की मात्रा स्थिर रहती है, तो सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचने वाली किरणें और पृथ्वी से वापस स्पेस में पहुंचने वाली किरणों में बैलेंस बना रहता है, जिससे तापमान भी स्थिर रहता है। वहीं दूसरी ओर, हम लोगों (मानव) द्वारा निर्मित ग्रीन हाउस गैस असंतुलन पैदा कर देते हैं, जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पडता है। यही ग्रीन हाउस इफेक्ट कहलाता है। दरअसल, पृथ्वी के तापमान को स्थिर रखने के लिए दशकों पूर्व काम शुरू हो गया था। लेकिन मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन में कमी लाने के लिए दिसंबर 1997 में क्योटो प्रोटोकोल लाया गया। इसके तहत 160 से अधिक देशों ने यह स्वीकार किया कि उनके देश में ग्रीन हाउस गैसों के प्रोडक्शन में कमी लाई जाएगी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 80 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस का उत्पादन करने वाले अमेरिका ने अब तक इस प्रोटोकोल को नहीं माना है।

मौसम चक्र हुआ अनियमित 
 आज धरती पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि समस्त मानव जाति है। सुविधाभोगी जीवन शैली में सामाजिक सरोकारों को पीछे छोड़ दिया है। जैसे-जैसे हम विकास के सोपान चढ़ रहे हैं वैसे-वैसे पृथ्वी पर नए-नए खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। दिन-प्रतिदिन घटती हरियाली व बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण रोज नई समस्याओं को जन्म दे रहा है। इस कारण प्रकृति का मौसम चक्र भी अनियमित हो गया है। अब सर्दी, गर्मी और वर्षा का कोई निश्चित समय नहीं रह गया। हर वर्ष तापमान में हो रही वृद्धि से बारिश की मात्रा कम हो रही है। इस कारण भू जल स्तर में भारी कमी आई है। अगर समय रहते कोई उपाय नहीं किए तो समस्याएं इतना विकराल रूप धारण कर लेंगी। इसलिए सभी को एकजुट होकर पृथ्वी को बचाने के उपाय करने होंगे। इसमें प्रशासन, सामाजिक संगठन, स्कूल, कालेज सहित सभी को इसमें भागीदारी निभानी होगी।

क्या करें :-
1. बाजार जाते समय साथ में कपड़े का थैला, जूट का थैला या बॉस्केट ले जाएं।
2. हम प्रत्येक सप्ताह कितने पॉलीथिन थैलों का इस्तेमाल करते हैं, इसका हिसाब रखें और इस संख्या को कम से कम आधा करने का लक्ष्य बनाएं।
3. यदि पॉलीथिन थैले के इस्तेमाल के अलावा कोई और विकल्प न बचे तो एक सामान को एक पॉलीथिन थैले में रखने के स्थान पर कई सामान एक ही थैले में रखने की कोशिश करे।
4. घर पर पॉलीथिन थैलों का काफी उपयोग किया जाता है. जैसे लंच पैक करना, कपड़े रखना या कोई अन्य घरेलू सामान रखना, इनमें से कुछ को कम करने का प्रयास करे।
5. पॉलीथिन के थैलों से जितना बच सकते है, बचें। पॉलीथिन के थैलों को एक बार इस्तेमाल कर फेंकने के स्थान पर उनका पुन: प्रयोग करने का प्रयास करे।
6. स्थानीय अखबारों में चिट्ठिया लिखकर, स्कूल में पोस्टर के द्वारा या प्रजेंटेशन से इस मसले पर जागरुकता फैलाने का काम करे।
7. पृथ्वी दिवस के दिन पोलीथिन के उपयोग से बचें. बाजार जाते समय कप़ड़े का बेग साथ लें जाएँ. ऐसा कर आप पर्यावरण संरक्षण यज्ञ में छोटी ही सही, पर महत्वपूर्ण आहूति दे सकते हैं।


चिंतन मनन का दिन 
 विश्व पृथ्वी दिवस महज एक दिन मनाने का नहीं है. यह दिन है इस बात के चिंतन मनन का कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं ? ऐसे कई तरीके हैं जिसे हम अकेले और सामूहिक रूप से अपनाकर धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए, लेकिन अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थो़ड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के ऋण को उतारा जा सकता है। हम सभी जो कि इस स्वच्छ श्यामला धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है कि दुनिया में कदम रखने से लेकर आखिरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाए रखने के लिए जो भी सकें करें क्योंकि यह वही धरती है जो हमारे बाद भी हमारी निशानियों को अपने सीने से लगाकर रखेगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब वह हरी-भरी तथा प्रदूषण से मुक्त रहे और उसे यह उपहार आप ही दे सकते हैं। तो हर दिन को पृथ्वी दिवस मानें और आज से ही नहीं अभी से ही करें इसे बचाने के प्रयास करे।


विश्व पृथ्वी दिवस और उसका इतिहास 
सच है कि 22 अप्रैल का पृथ्वी से सीधे-सीधे कोई लेना-देना नहीं है। जब पृथ्वी दिवस का विचार सामने आया, तो भी पृष्ठभूमि में विद्यार्थियों का एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन था। वियतनामी यु़द्ध विरोध में उठ खड़े हुए विद्यार्थियों का संघर्ष! 1969 में सान्ता बारबरा (कैलिफोर्निया) में बड़े पैमाने पर बिखरे तेल से आक्रोशित विद्यार्थियों को देखकर गेलॉर्ड नेलसन के दिमाग में ख्याल आया कि यदि इस आक्रोश को पर्यावरणीय सरोकारों की तरफ मोड़ दिया जाए, तो कैसा हो।  नेलसन, विसकोंसिन से अमेरिकी सीनेटर थे। उन्होंने इसे देश को पर्यावरण हेतु शिक्षित करने के मौके के रूप में लिया। गेलॉर्ड नेलसन की युक्ति का नतीजा यह हुआ कि 22 अप्रैल,1970 को संयुक्त राज्य अमेरिका की सड़कों, पार्कों, चौराहों, कॉलेजों, दफ्तरों पर स्वस्थ-सतत पर्यावरण को लेकर रैली, प्रदर्शन, प्रदर्शनी, यात्रा आदि आयोजित किए। वर्ष 1970 के प्रथम पृथ्वी दिवस आयोजन के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के दिल में भी ख्याल आया कि पर्यावरण सुरक्षा हेतु एक एजेंसी बनाई जाए। 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुए पृथ्वी सम्मेलन ने पूरी दुनिया की सरकारों और स्वयंसेवी जगत में नई चेतना व कार्यक्रमों को जन्म दिया। आज, जब वर्ष 1970 की तुलना में पृथ्वी हितैषी सरोकारों पर संकट ज्यादा गहरा गए हैं कहना न होगा कि इस दिन का महत्व कम होने की बजाय, बढ़ा ही है।


Sunday 10 April 2016

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पकड़ने के लिए बेहोश किए गए बाघ की मौत

 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पकड़ने के लिए रविवार को बेहोश किए गए बाघ ब्लू आई की मौत हो गई। उसे धमोखर इलाके से दूसरी जगह ले जाने के लिए ट्रैंक्यूलाइज किया जा रहा था। ब्लू आई ने शनिवार को रिजर्व के ज्वाइंट डायरेक्टर कैलाश बांगर पर हमला भी कर दिया था। सीसीएफ वन वृत्त शहडोल सुनील अग्रवाल ने बताया कि शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके इस बाघ को जब डॉट दिया जा रहा था तो उसी समय इसकी मौत हो गई। दवा का ओवरडोज हो जाने के कारण वह होश में आया ही नहीं और बेहोशी में ही उसकी मौत हो गई। बाद में मरदरी ले जाकर बाघ के शव का पीएम किया गया और वहीं दाह संस्कार कर दिया गया।

Saturday 26 March 2016

शहीद दिवस पर जनता को सावधान रहने की सलाह

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में शहीद दिवस 23 मार्च को भारत स्वाभिमान पतंजलि के पांचों संगठन के द्वारा अमर शहीद भगत सिंग, राजगुरू, सुखदेव की शहादत को नमन करते हुए शहीदों के सम्मान में एक श्रद्धांजलि रैली का आयोजन जयस्तम्भ चौक से मानव मंदिर चौक, सिनेमा लाईन, भारत माता चौक से होते हुए पुन: जयस्तम्भ चौक तक किया। जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एवं आम लोगों की उपस्थिति रही एवं विशेष कर अशोक चौधरी, डी.एन. साहू, हरीश गांधी, मनोज लड्डा, निर्भय लिल्हारे, पंकज पढारिया, जवाहर सिन्हा, भुवन कौशल, धीरज द्विवेदी, हेमराज वर्मा एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे जिन्होंने देश में आज चल रहे कुचक्र के बारे में कहा एवं जनता को सावधान रहने की सलाह दी।

वीवो आईपीएल ट्रॉफी ने रायपुर प्रशंसकों में बढ़ाया उत्साह

रायपुर। शनिवार को रोमांच से भरी वीवो आईपीएल ट्रॉफी की यात्रा अपने तीसरे पड़ाव रायपुर पहुंची, जहां 26 मार्च को शहर के सिटी सेंटर मॉल में दर्शकों को उससे रूबरू कराया गया। शहर में आईपीएल के प्रशंसकों को रोमांच और जोश से भरपूर माहौल का अनुभव मिलने के साथ ही वीवो आईपीएल ट्रॉफी के लिए उत्साह बढ़ाने में भी मदद मिली। करीब 500क्रिकेट प्रशंसकों ने वीवो आईपीएल फैनपार्क में आयोजित खेल गतिविधियों, कॉन्टेस्टों में प्रतिभागिता की और ट्रॉफी के साथ सेल्फी भी लीं। इन गतिविधियों और कॉन्टेस्टों के विजेताओं को ढेरसारे इनाम प्रदान किए गए, जिनमें वीवो आईपीएल टिकट से लेकर वीवो ब्रांड के आयोजनों के निमंत्रण शामिल थे। प्रशंसकों को वीवो आईपीएल फैनपार्क में वीवो ब्रांड के उत्पादों की पूरीरेंज देखने का भी मौका मिला। अब ट्रॉफी अपने अगले पड़ाव देश की राजधानी नई दिल्ली जाने के लिए बिल्कुल तैयार है।

Tuesday 22 March 2016

गुजराती लुहार समाज ने मनाया होली मिलन समारोह


रायपुर/ सर्व गुजराती लुहार समाज ने जे.एन.पांडे स्कुल के सभागार में होली मिलन समारोह का आयोजन किया।इस अवसर पर समाज के मेधावी विद्यार्थियों को विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल द्वारा स्वीकृत शिक्षा अनुदान राशि का चेक प्रदान किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आरडीए अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव एवं छगन मुंदड़ा विशेष रूप से उपस्थित थे।उपस्थित जनों ने तिलक लगाकर एक दूसरे को होली पर्व की बधाई दी। संजय श्रीवास्तव ने होली की शुभकामनायें देते हुए कहा कि समाज में संगठित रहना जरुरी है।इसे हमारी परंपराएं जीवित रहती है।व्यक्ति अकेले सब कुछ कर सकने में सक्षम नही होता।कही न कही परिवार और समाज की शक्ति साथ होती है तो आत्मविश्वास भी बना रहता है।समाज भी एक तरह से परीवार का बड़ा रूप है। इस अवसर पर छगन मुंदड़ा ने भी समाज के प्रयासों को सराहा।उन्होंने कहा कि तीज-त्योहारों को सामूहिक रूप से मनाया जाना   हमारे समाज की अच्छी परंपरा है।इससे सभी लोगों के सम्बन्ध और मजबूत होते है।यही एकजुटता ही स्वस्थ और समृद्ध भारत के लिये जरुरी है। इस दौरान मेधावी छात्र अर्जुन पित्रोदा और छात्रा तेजश्वनी राठौर,शुभम पित्रोदा को 5-5 हज़ार की शिक्षा अनुदान राशि प्रदान की गई।साथ ही स्वास्थ लाभ हेतु समाज के किशोर भाई हंसोरा को 5 हज़ार की सहयोग राशि भी प्रदान की गई।
गुजराती लुहार समाज भवन के लिए जमीन दान करने की घोषणा करने वाली पारुल पढारिया ने 24 सौ वर्गफुट जमीन समाज के नाम रजिस्ट्री कर पदाधिकारियों को सम्पूर्ण दस्तावेज सौप दिए।इस अवसर पर अतिथियों ने उनका भी  सम्मान किया।
इस दौरान समस्त गुजराती लोहार समाज रायपुर का अध्यक्ष आर.के पढारिया, उपाध्यक्ष गिरधर हंसोड़, कोषाध्यक्ष प्रकाश पांचाल, महिला मंडल अध्यक्ष मीनाबेन पितरोड़ा, मधुबेन पांचाल, राजेश राठौर,हरीश परमार, नरेश पितरोड़ा,धीरेन्द्र पांचाल,चंद्रेश सोलंकी, अशोक दावड़ा, शैलेश परमार सहित समाज के सैकडों जन  उपस्थित थे।

Saturday 19 March 2016

किसानों के त्याग और कठिन परिश्रम का परिणाम है कृषक कर्मण पुरस्कार

दलहन उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ को  2014-15 का राष्ट्रीय कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है । नई दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मुख्यमंत्री डॉ रमण सिंह और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को यह सम्मान प्रदान किया है। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के अन्नदाता मेहनतकश किसानों को  बधाई व शुभकामनायें प्रेषित करते हुए कहा कि यह हमारे लिए हर्ष और गौरव का दिन है। चौथी बार यह सम्मान मिलना राज्य के किसान साथियों की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की हमेशा कोशिश रही है कि अन्नदाता किसान धान के अलावा दलहन-तिलहन और उद्यानिकी फसलों की पैदावार बढ़ाये और लाभ अर्जित करें। किसानों को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने हम तत्पर है। उन्हें तकनीकी तौर पर सक्षम बनाने, उनके खेत में  पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की हरसंभव हमारी कोशिश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने बजट में किसानों के हित को सबसे ऊपर रखा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना से आने वाले समय में खेती किसानी के दिन निश्चित ही  बेहतर होंगे। विपरीत परिस्थितियों में भी प्रधानमंत्री फसल सुरक्षा बीमा किसानों को राहत प्रदान करेगा। हमारा मानना है कि सुखी और समृद्ध भारत का निर्माण तभी होगा जब कृषि पर आश्रित देश की 70 फीसदी आबादी का जीवन खुशहाल होगा। अपनी इसी मान्यता के साथ  केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पूरे तन-मन और धन से अन्नदाताओं की सेवा में तत्पर है। हमारे इन्ही प्रयासों को किसानों ने सराहा है। आज वे प्रगति की राह पर है। यह कृषक कर्मण पुरस्कार उन किसान भाईयों की त्याग और कठिन परिश्रम का ही परिणाम है। आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि छत्तीसगढ़ के किसान निरंतर ऐसी उपलब्धियां हासिल कर छत्तीसगढ़ का मान बढाते रहेंगे।

Friday 18 March 2016

नंदनवन में 26 साल के शेर ‘राजा’ की मौत

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नंदनवन चिड़ियाघर में बीती रात राजा नामक एक नर सिंह की 26 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह मध्य भारत का सबसे उम्रदराज सिंह था। उसे वर्ष 1996 में छत्तीसगढ़ के ही राजिम में एक सर्कस कम्पनी से जप्त कर नंदनवन लाया गया था। उस समय उसकी उम्र 6 वर्ष की थी। मृत सिंह राजा का पोस्टमार्टम शुक्रवार को सवेरे 11 बजे नंदनवन में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉं. जयकिशोर जड़िया द्वारा किया गया। पोस्टमार्टम के बाद पंचनामा कर सिंह का दाह संस्कार किया गया। खाल, मूंछ, नाखून, दांत, बाल आदि उसके सभी अंगों को जला दिया गया। मृत नर सिंह राजा का पोस्टमार्टम एवं दाह संस्कार के समय के. सी. बेबर्ता, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़, के. मुरूगन, मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर, श्रीमती एम. मर्सीबेला, संचालक सह वनमण्डलाधिकारी नंदनवन रायपुर, यू. डी. भार्गव अधीक्षक नंदनवन, वन परिक्षेत्र अधिकारी नंदनवन तथा नंदनवन के कर्मचारी उपस्थित थे।

Thursday 17 March 2016

मोना सेन को ‘नारी शक्ति’ से सम्मानित किया

छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोक कलाकार मोना सेन को एक कार्यक्रम में अभिनेत्री शर्मिला टैगोर द्वारा ‘नारी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।

Thursday 10 March 2016

बच्चों को स्वार्थ नहीं, परमार्थ के लायक बनायें

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, चैक कैम्पस एवं राजाजीपुरम (द्वितीय कैम्पस) द्वारा ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का भव्य आयोजन आज सम्पन्न हुआ। जहाँ एक ओर सी.एम.एस. चैक कैम्पस द्वारा विद्यालय के विशाल प्रांगण में आयोजित ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ में विद्यालय के छात्रों ने ईश्वर भक्ति से परिपूर्ण अपने गीत-संगीत से सभी दर्शकों एवं अभिभावकों को मंत्रमुग्ध कर दिया तो वहीं दूसरी ओर सी.एम.एस. राजाजीपुरम (द्वितीय कैम्पस) द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ में छात्रों ने सार्वभौमिक जीवन मूल्यों, विश्वव्यापी चिंतन, विश्व की सेवा के लिए तथा सभी चीजों में उत्कृष्टता विषय पर अपने सारगर्भित विचार प्रकट किये। इन दोनों समारोहों में विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता अर्जित करने वाले व वार्षिक परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया।सी.एम.एस. चैक कैम्पस द्वारा आयोजित ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ में अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. के संस्थापक-प्रबन्धक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि बच्चे का जन्म स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं, अपितु परमार्थ के लिए हुआ है। बच्चे तो परमात्मा के आज्ञाकारी पुत्र अर्थात युवराज बनकर इस संसार की सेवा करने के लिए पैदा हुए है, अतः परमात्मा के दिव्य गुणों जैसे सदाचार, ईमानदारी, अहिंसा, न्याय, सहयोग आदि जीवन मूल्यों को बच्चों में प्रारम्भ से ही रोपित करें। आगे बोलते हुए डा. गाँधी ने कहा कि यदि बालक में निर्धारित लक्ष्य को तनावरहित होकर धैर्यपूर्वक एवं कठोर परिश्रम के द्वारा अर्जित करने की क्षमता विकसित नहीं होगी तो वह जीवन में कभी भी पूर्णतया सफल व्यक्ति नहीं बन सकता है। जीवन की पाठशाला में अनेक फैसले  स्वयं करने पड़ते हैं, अतः किसी कार्य को करने के पूर्व उसके अन्तिम परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए। इस अवसर पर सी.एम.एस. चैक कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती साधना बेदी ने कहा कि सी.एम.एस. अपने छात्रों का सर्वांगीण विकास कर ‘टोटल क्वालिटी पर्सन’ बनाने को दृढ़-संकल्पित है, परन्तु यह कार्य अभिभावकों के सहयोग के बगैर संभव नहीं हैं। उन्होंने समारोह में पधारकर बच्चों की हौसलाअफजाई करने के लिए अभिभावकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

Monday 7 March 2016

क्विज प्रतियोगिता में सीएमएस छात्र को ढाई लाख रूपये का नगद पुरस्कार


लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अलीगंज (प्रथम कैम्पस) के कक्षा-10 के मेधावी छात्र विश्रुत त्रिवेेदी को  भारतीय आध्यात्मिक क्विज प्रतियोगिता में ढाई लाख रूपये का नगद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया है।  विश्रुत ने ओजस्विता आनन्दम टी.वी. चैनल के तत्वावधान में मुंबई में आयोजित इण्डियन स्पिरिचुअल आईकाॅन क्विज प्रतियोगिता के ग्रैण्ड फिनाले में द्वितीय पुरस्कार स्वरूप यह नगद पुरस्कार जीता है। प्रतियोगिता का आयोजन किशोर व युवा पीढ़ी में भारत की सांस्कृतिक विरासत को जानने, समझने एवं बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास की ओर प्रेरित करना था। इस प्रतियोगिता में विश्रुत ने भारत की साँस्कृतिक विविधता, कलात्मक उत्कृष्टता, भारतीय दर्शन, भारतीय धार्मिक मान्यताओं एवं परम्पराओं आदि पर अपने ज्ञान का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. पिछले 56 वर्षों से ईश्वरीय प्रेम से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के महान आदर्श ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात ‘सारा विश्व एक परिवार है’ पर आधारित शिक्षा छात्रों को दे रहा हैं एवं भौतिक, सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा प्रदान कर छात्रों का सर्वांगीण विकास कर रहा है। यही कारण है कि सी.एम.एस. छात्र विश्व की तमाम प्रतिष्ठित संस्थाओं में उच्च पदों पर आसीन होकर विश्व के कोने-कोने में अपने बौद्धिक ज्ञान के साथ-साथ जय जगत एवं वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का अलख जगा रहे हैं।